कालरात्रि माता, देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप की अधिष्ठात्री हैं। नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है। माता का यह स्वरूप अत्यंत उग्र और शक्तिशाली है, जो सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, राक्षसों और बाधाओं का नाश करती हैं।
कालरात्रि माता का वाहन गधा है, और उनके हाथों में आयुध के रूप में खड्ग और लौ है। उनकी करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है पूजा भय और संकटों से मुक्ति के लिए की जाती है। माता कालरात्रि की आरती और घर में शांति और सकारात्मकता का वास होता है।
॥ आरती देवी कालरात्रि जी की ॥
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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कालरात्रि माता की आरती के लाभ
- माता की आरती करने से सभी प्रकार के भय, बाधाएं और बुरी शक्तियां दूर होती हैं।
- जीवन में साहस, आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- आरती से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है।
- भक्ति भाव से आरती करने पर माता का आशीर्वाद मिलता है और समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- माता की आराधना से घर और मन दोनों पवित्र होते हैं।
कालरात्रि माता की आरती से भक्तों को अदम्य साहस, सुरक्षा और विजय का अनुभव होता है। उनकी आरती भक्तों को साहस और शक्ति प्रदान करती है, जिससे वे जीवन के हर कठिनाई को सामना कर सकते हैं।
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