महाराजा अग्रसेन जी की आरती का हिंदी में परिचय देना एक महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि इससे लोगों को उनके महान कार्यों और योगदानों के बारे में जानने का अवसर मिलता है। महाराजा अग्रसेन एक महान राजा थे, जिन्होंने समाज में समानता, न्याय और आर्थिक समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी आरती उन्हें सम्मान देने का एक तरीका है और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक माध्यम है।
अग्रसेन जी की आरती
जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे..! कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें ..!! जय श्री!
आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय! अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे..!! जय श्री!
केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे! झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे ..!! जय श्री!
अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये! गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये..!! जय श्री!
सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता! ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता..!! जय श्री!
ब्रहम्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा! कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा..!! जय श्री!
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये! कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए..!! जय श्री!
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