महाराजा अग्रसेन जी की आरती का हिंदी में परिचय देना एक महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि इससे लोगों को उनके महान कार्यों और योगदानों के बारे में जानने का अवसर मिलता है। महाराजा अग्रसेन एक महान राजा होने के साथ साथ महान समाज सुधारक और अग्रवाल समाज के संस्थापक महाराजा अग्रसेन की स्तुति का माध्यम है। समाज में समानता, न्याय और आर्थिक समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।यह आरती उनके परोपकारी जीवन, आदर्श शासन और समानता पर आधारित समाज निर्माण के प्रति समर्पण को सम्मानित करती है।
भक्तजन इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाकर महाराजा अग्रसेन की कृपा प्राप्त करते हैं। उनकी आरती उन्हें सम्मान देने का एक तरीका है और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक माध्यम है।
अग्रसेन जी की आरती
जय श्री अग्र हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे..! कोटि कोटि नत मस्तक, सादर नमन करें ..!! जय श्री!
आश्विन शुक्ल एकं, नृप वल्लभ जय! अग्र वंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे..!! जय श्री!
केसरिया थ्वज फहरे, छात्र चवंर धारे! झांझ, नफीरी नौबत बाजत तब द्वारे ..!! जय श्री!
अग्रोहा राजधानी, इंद्र शरण आये! गोत्र अट्ठारह अनुपम, चारण गुंड गाये..!! जय श्री!
सत्य, अहिंसा पालक, न्याय, नीति, समता! ईंट, रूपए की रीति, प्रकट करे ममता..!! जय श्री!
ब्रहम्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा! कुल देवी महामाया, वैश्य करम कीन्हा..!! जय श्री!
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये! कहत त्रिलोक विनय से सुख संम्पति पाए..!! जय श्री!
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महाराजा अग्रसेन आरती के लाभ
महाराजा अग्रसेन आरती का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति जीवन में संतुलन, धैर्य, करुणा का विकास और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह आरती जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। महाराजा अग्रसेन के सिद्धांतों को अपनाने से समाज में एकता, समानता और सहयोग का भाव विकसित होता है। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर व्यक्ति दान, सेवा और परोपकार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होता है।
महाराजा अग्रसेन की आराधना से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है। यह आरती न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि जीवन में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का मार्ग भी दिखाती है।
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