महा गौरी माता, देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप का प्रतीक हैं। नवरात्रि के आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और पवित्र है। महा गौरी माता का वर्ण श्वेत है, जिसके कारण उन्हें “गौरी” कहा जाता है। महा गौरी माता की आरती भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करती है। माता का वाहन वृषभ (बैल) है और इनके चार हाथों में त्रिशूल, डमरू, अभयमुद्रा और वरमुद्रा सुशोभित हैं।
॥ आरती देवी महागौरी जी की ॥
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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महा गौरी माता की आरती के लाभ
- माता महा गौरी की आरती करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- आरती से नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- आरती से आत्मिक शुद्धता और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- माता का आशीर्वाद मिलने से जीवन में सौभाग्य और संतुलन आता है।
महा गौरी माता की आरती भक्तों को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही लाभ प्रदान करती है। महा गौरी देवी जीवन से पाप और अशुद्धियों को नष्ट कर भक्तों को शुद्धता और दिव्यता प्रदान करती हैं।
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