चंद्रघंटा माता, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में तीसरा स्वरूप हैं। इनकी आरती, “जय माँ चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे काम,” का गायन भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। माता चंद्रघंटा शांति, साहस और सौम्यता की प्रतीक हैं। उनकी उपासना से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति प्राप्त होती है।
॥ आरती देवी चन्द्रघण्टा जी की ॥
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा। कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी॥
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चंद्रघंटा माता की आरती के लाभ
चंद्रघंटा माता की आराधना विशेष रूप से नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है।चंद्रघंटा माता की आरती करने से मानसिक और भावनात्मक शांति मिलती है। यह आरती नकारात्मक ऊर्जा और भय को दूर करने में सहायक होती है। आरती के दौरान घंटा, शंख और दीप का उपयोग घर के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है। यह आरती स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति प्रदान करती है।
चंद्रघंटा माता की आरती का नियमित गायन व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है और उसे भयमुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देता है। माता की कृपा से जीवन में सुख, शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
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