आरती देवी कूष्माण्डा जी – Devi Kushmanda Aarti

देवी कूष्मांडा, देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप की अधिष्ठात्री हैं। इन्हें “आदिशक्ति” कहा जाता है क्योंकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति इनके मधुर मुस्कान से हुई थी। देवी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और अलौकिक है। 

देवी कूष्मांडा की आरती करने से भक्तों के जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और सुख-शांति का संचार होता है। माता कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमल, धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, जप माला और कमंडल सुशोभित हैं। इनका वाहन सिंह है। नवरात्रि के चौथे दिन इनकी पूजा की जाती है।

॥ आरती देवी कूष्माण्डा जी की ॥

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।मुझ पर दया करो महारानी॥

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।शाकम्बरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।भक्त तेरे दर शीश झुकाए

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देवी कूष्मांडा की आरती के लाभ

  1. देवी कूष्मांडा की आरती करने से जीवन में स्वास्थ्य और ऊर्जा का संचार होता है।
  2. माता की कृपा से धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मकता का वास होता है।
  4. आरती से भक्त को आत्मविश्वास और साहस मिलता है।
  5. कठिन कार्यों में सफलता और हर बाधा से मुक्ति मिलती है।

देवी कूष्मांडा की आरती से भक्तों का जीवन सुख, समृद्धि और शांति से भर जाता है। उनकी भक्ति से जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का अनुभव होता है। माता की आराधना से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। आरती में उनकी महिमा का गान भक्तों को शक्ति और सकारात्मकता प्रदान करता है।

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