Chandraghanta Mantra (चन्द्रघंटा मंत्र) नवरात्रि के तीसरे दिन किसी दुर्गा मंदिर में घंटी भेंट करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें. मान्यता है इससे विरोधी कार्य में बाधा नहीं बनते और तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं, ये उपाय जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आता है. उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं।
चन्द्रघंटा मंत्र हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण मंत्र है। देवी चन्द्रघंटा माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। देवी चन्द्रघंटा अपने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है। वे शक्ति, साहस, और शांति की प्रतीक हैं।
Maa Chandraghanta Mantra चन्द्रघंटा मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।। - पिंडजप्रवरारुढ़ा चन्दकोपास्त्रकैर्युता|
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघंटेति विश्रुता||
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है
‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
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चन्द्रघंटा मंत्र का उच्चारण व्यक्ति को भय, नकारात्मक ऊर्जा, और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शांति की तलाश में हैं।
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