दुर्गा देवी कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो माँ दुर्गा की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। माँ दुर्गा को शक्ति, साहस, और विजय की देवी माना जाता है। इस कवच का पाठ व्यक्ति को जीवन की बाधाओं, रोगों, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
दुर्गा कवच में माँ के विभिन्न रूपों की स्तुति की जाती है, जो भक्तों को सभी प्रकार की नकारात्मकता और भय से मुक्त करती है। नवरात्रि और विशेष पूजाओं के दौरान इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है, जिससे माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दुर्गा कवच का पाठ हिंदी मे
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत संकटात् ॥१॥
अज्ञात्वा कवचं देवि दुर्गामंत्रं च यो जपेत् ।
स नाप्नोति फलं तस्य परं च नरकं व्रजेत् ॥२॥
उमादेवी शिरः पातु ललाटे शूलधारिणी ।
चक्षुषी खेचरी पातु कर्णौ चत्वरवासिनी ॥३॥
सुगंधा नासिके पातु वदनं सर्वधारिणी ।
जिह्वां च चंडिकादेवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा ॥४॥
अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ।
हृदयं ललितादेवी उदरं सिंहवाहिनी ॥५॥
कटिं भगवती देवी द्वावूरू विंध्यवासिनी ।
महाबला च जंघे द्वे पादौ भूतलवासिनी ॥६॥
एवं स्थितासि देवि त्वं त्रैलोक्ये रक्षणात्मिका ।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे देवि नमोस्तुते ॥७॥
॥ इति दुर्गाकवचं संपूर्णम् ॥
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नियमित रूप से दुर्गा कवच का जाप करना भगवान शनि को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका है