Brihaspati Stotram को देवताओं के गुरु, ज्ञान, धर्म, संतान, विवाह, और समृद्धि के कारक माना जाता है। इनकी कृपा से व्यक्ति को शिक्षा, धन, संतान, वैवाहिक सुख,x और धार्मिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यदि किसी की कुंडली में गुरु कमजोर हो या बृहस्पति दोष हो, तो यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।
Brihaspati Stotram
क्रौं शक्रादि देवै: परिपूजितोसि त्वं जीवभूतो जगतो हिताय ।
ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम् ।।1।।
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटश्र्वतुर्भजो देव गुरु: प्रशांत: ।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च तथाक्षसूत्रं वरदोस्तुमहम् ।।2।।
ब्रहस्पति: सुराचार्योदयावानछुभलक्षण: ।
लोकत्रयगुरु: श्रीमान्सर्वज्ञ: सर्वतो विभु: ।।3।।
सर्वेश: सर्वदा तुष्ठ: श्रेयस्क्रत्सर्वपूजित: ।
अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नितिकर्ता महाबल: ।।4।।
विश्र्वात्मा विश्र्वकर्ता च विश्र्वयोनिरयोनिज: ।
भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पति: ।।5।।
पंचविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च ।
नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च ।।6।।
प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत्तु समाहितः ।
विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीत: स च न संशय: ।।7।।
तंत्रान्तरेपि नम: सुरेन्द्रवन्धाय देवाचार्याय ते नम: ।
नमस्त्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्वान्तपारग ।।8।।
सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीड़ाहराय च ।
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ।।9।।
नमोऽद्वितियरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम: ।
नम: प्रहष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम: ।।10 ।।
नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक ।
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे ।।11।।
विषमस्थस्तथा न्रणां सर्वकष्टप्रणाशमन् ।
प्रत्यहं तु पठेधो वै तस्यकामफलप्रदम् ।।12।।
।। इति गुरु ब्रहस्पति स्तोत्र संपूर्णम् ।।
✅ गुरु बृहस्पति स्तोत्र के लाभ (Brihaspati Stotra):
- 📚 बुद्धि, ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि स्तोत्र विशेष फलदायक है।
- 💰 धन, नौकरी और करियर में प्रगति जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
- 👶 संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुधार, उनकी कृपा से बाधाएं दूर होती हैं।
- 🛡️ गुरु दोष और बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
- 🌈 धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि, ज्ञानी और सम्माननीय बनाता है।
📿Brihaspati Stotram Samskrit पाठ विधि:
- सर्वश्रेष्ठ दिन: गुरुवार
- प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
- घर में उत्तर-पूर्व दिशा में गुरु देव (या विष्णु/दक्षिणावर्ती शंख) की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
- पीले पुष्प, चने की दाल, और केले अर्पित करें।
- फिर “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- उसके बाद ऊपर दिया गया गुरु स्तोत्र श्रद्धा से 3, 5 या 11 बार पढ़ें।
- व्रत रखें तो दिन में एक बार ही हल्का पीला भोजन लें।
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