खाटू श्याम जी की कहानी
Kon hai Khatu Shyam
हिन्दू धर्म में खाटू श्याम जी को कलयुग के भगवान के रूप में पूजा जाता है। इनकी कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है। खाटू श्याम जी का असली नाम श्री बर्बरीक है, जो कि भीम (पांडवों में से एक) के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक का जन्म महाबली घटोत्कच और नागकन्या मोरवी के पुत्र के रूप में हुआ था। बर्बरीक को उनके बचपन से ही युद्ध की शिक्षा प्राप्त हुई थी।
बर्बरीक ने भगवान शिव से वरदान में तीन अमोघ बाण प्राप्त किए, और फिर भगवान शिव जी ने वरदान के रूप में उन्हें इस शक्ति की प्राप्ति हुई कि वे केवल तीन तीरों से ही पूरी दुनिया को जीत सकते थे। इसलिए उन्हें “तीन बाणधारी” भी कहा जाता है। इस कलयुग में जो भी बाबा खाटू श्यामा की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
Also Read: Khatu Shyam Baba Ki Aarti
बाबा खाटू श्याम का इतिहास
Khatu Shyam Story in Hindi – माना जाता है कि वे महाभारत काल के बर्बरीक थे, जो भीम के पौत्र थे। बर्बरीक को अद्वितीय शक्तियाँ प्राप्त थीं। कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनके शीश का दान मांगा। बर्बरीक के इस सर्वोच्च बलिदान और उनकी वीरता से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में अपने नाम ‘श्याम‘ से पूजे जाने का वरदान दिया।
कथा के अनुसार, बर्बरीक का शीश राजस्थान के खाटू गांव में प्रकट हुआ। एक गाय के उस स्थान पर दूध देने की घटना के बाद खुदाई में शीश मिला, जिसे बाद में मंदिर में स्थापित किया गया। खाटू श्याम जी को ‘हारे का सहारा’ कहा जाता है क्योंकि वे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और निराशा में आशा जगाते हैं। उनका मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है और करोड़ों भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।
Also Read: Khatu Shyam Chalisa
बर्बरीक का बलिदान महाभारत युद्ध में
जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तब वहां बर्बरीक युद्ध देखने के लिए कुरुक्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने यह प्रण लिया था कि जो पक्ष पराजय की ओर बढ़ेगा तब वो उस पक्ष से युद्ध करेंगे। श्रीकृष्ण को यह पहले से ज्ञात था कि यदि बर्बरीक युद्ध में उतरे, तो युद्ध का संतुलन बिगड़ जाएगा, क्योंकि यदि वे बार-बार पक्ष बदलते रहेंगे तो युद्ध का परिणाम नहीं निकलेगा और अंततः सबको पराजित कर देंगे।
श्रीकृष्ण ने युक्ति लगाई और बर्बरीक से उनकी सबसे बड़ी भक्ति और दानवीरता की परीक्षा ली। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि यदि तुम इतने महान योद्धा हो तो तुम्हे अपनी वीरता सिद्ध करनी होगी जिसके लिए तुम्हे अपने सिर का दान देना होगा। बर्बरीक ने कुछ नहीं सोचा और बिना झिझक अपना सिर श्रीकृष्ण को दान कर दिया।
जब बर्बरीक ने बिना झिझके हुए श्रीकृष्ण को अपना सिर दान कर दिया तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनके इस बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्री श्याम बाबा नाम से पूजे जाओगे, और जो भी तुम्हारा सच्चे मन से पूजा करेगा, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।
खाटू श्याम जी का मंदिर कहां है?
Khatu Shyam Kaha hai – बर्बरीक का सिर जो उन्होंने श्रीकृष्ण को दान कर दिया था वह खाटू राजस्थान के सीकर ज़िले में है। जहां पर भक्तों को मार्गदर्शन देने के लिए पूजा की जाती है। आज के समय में खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है, जो भी व्यक्ति यहां सच्चे मन से बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करने आता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और लाखों श्रद्धालु हर वर्ष दर्शन के लिए यहां आते हैं।
- Krishna Mantra | कृष्ण मंत्र
- Shri Vishnu Sahasranama Stotram
- Brahma Chalisa in Hindi – ब्रह्मा चालीसा के लाभ
Shree Khatu Shyam Story in Hindi को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है।




