गोवर्धन जी की आरती का परिचय देते समय हमें भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े उस महत्वपूर्ण प्रसंग को याद करना होता है, जिसमें उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी। यह घटना हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। गोवर्धन जी की आरती भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और उनकी लीला की महिमा का गान है।
Shree Govardhan Aarti
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
चकलेश्वर है विश्राम।
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण।
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