भगवान विष्णु आरती हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण भजन है। भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के रूप में जाना जाता है। वे त्रिमूर्ति के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें संसार के संरक्षक और रक्षक के रूप में पूजा जाता है। उनके दस अवतारों (दशावतार) में श्रीराम और श्रीकृष्ण सबसे प्रमुख माने जाते हैं।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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भगवान विष्णु की आरती का गान भक्तों द्वारा भगवान की कृपा, सुरक्षा, और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु के महान कार्यों, उनके दिव्य स्वरूप और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
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