हाल ही में महाभारत युद्ध की शुरुआत के समय गुरु कृष्ण द्वारा अर्जुन मेले में दिया गया उपदेश श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से मनाया जाता है। यह महाभारत के भीष्म पर्व का एक भाग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की जानकारी आज (2024) से लगभग 5169 वर्ष पूर्व (3146 ईसा पूर्व) लिखी गई थी। गीता को प्रस्थानत्रयी में गिना जाता है, जिसमें उपनिषद और ब्रह्मसूत्र भी शामिल हैं।
इस प्रकार, सचिन सम्मलेन के अनुरूप, गीता का तात्पर्य उपनिषदों और धर्मसूत्रों के समान ही है। उपनिषदों को गौ कहा गया है और गीता को उसकी नाली कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि गीता उपनिषदों की पारलौकिक जानकारी को समग्रता में स्वीकार करती है।
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उपनिषदों के असंख्य पाठ गीता में हैं। उदाहरण के लिए, विश्व की प्रकृति के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अव्यक्त अजन्मा ब्रह्म के संबंध में अव्यपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीवित प्राणियों के संबंध में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के संबंध में क्षरपुरुष विद्या। अतः वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के पारलौकिक अस्तित्व का विशेष तत्व गीता में समाहित है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है।
महाभारत के युद्ध के दौरान, जब अर्जुन युद्ध करने से इनकार करते हैं, तो श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं और उन्हें कर्म और धर्म की वास्तविक जानकारी से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन उपदेशों को “भगवत गीता” नामक पुस्तक में संकलित किया गया है।
श्रीमद भागवत गीता अध्याय
- पहला अध्याय- अर्जुनविषादयोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- दूसरा अध्याय- सांख्ययोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- तीसरा अध्याय- कर्मयोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- चौथा अध्याय- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- पाँचवा अध्याय- कर्मसंन्यासयोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- छठा अध्याय- आत्मसंयमयोग ~ श्रीमद्भगवद्गीता
- सातवाँ अध्याय- ज्ञानविज्ञानयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- आठवां अध्याय- अक्षरब्रह्मयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- नवाँ अध्याय- राजविद्याराजगुह्ययोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- दसवाँ अध्याय- विभूतियोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- ग्यारहवाँ अध्याय- विश्वरूपदर्शनयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- बारहवाँ अध्याय- भक्तियोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- तेरहवाँ अध्याय- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- चौदहवाँ अध्याय- गुणत्रयविभागयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- पंद्रहवां अध्याय- पुरुषोत्तमयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- सोलहवाँ अध्याय- दैवासुरसम्पद्विभागयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- सत्रहवाँ अध्याय- श्रद्धात्रयविभागयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
- अट्ठारहवाँ अध्याय- मोक्षसंन्यासयोग- श्रीमद्भगवद्गीता
भगवत गीता किसने लिखी?
अधिकांश हिन्दू विद्वानों का मानना है कि महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी ने ही भगवत गीता लिखी थी। गीता को महाभारत का सातवां अध्याय माना जाता है। वेदव्यास जी को हिन्दू धर्म के सबसे महान ऋषियों में से एक माना जाता है, जिन्होंने वेद, पुराण और महाभारत सहित अनेक धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी।
भागवत गीता पढ़ना कैसे शुरू करें?
भागवत गीता हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जो जीवन, कर्म, और आत्मा के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
गीता में गहन दर्शन है, इसलिए इसे धीरे-धीरे और समझ कर पढ़ें।
एक बार में थोड़े श्लोक पढ़ें और उनका अर्थ समझने का प्रयास करें।
अगर आपको समझने में दिक्कत हो, तो व्याख्या का उपयोग करें।
गीता जी कब पढ़ना चाहिए?
भागवत गीता पढ़ने का कोई निश्चित समय नहीं है।
आप इसे कभी भी पढ़ सकते हैं, जो भी समय आपके लिए अधिक सुविधाजनक और शांत हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप नियमित रूप से गीता पढ़ें, थोड़ा समय भी नियमित रूप से पढ़ना अधिक लाभदायक होगा जैसे कि एक घंटे में कभी-कभी पढ़ना।
भगवत गीता में क्या लिखा है?
भगवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। आज से (सन 2024) लगभग 5169 वर्ष पूर्व (3146 ई.पू.) पहले गीता का ज्ञान बोला गया था। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।