Pushpanjali Mantra in hindi एक महत्वपूर्ण वैदिक मंत्र है जिसका उपयोग पूजा और आराधना के समय भगवान को पुष्प अर्पित करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करते समय भक्त भगवान को अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ पुष्प अर्पित करते हैं। पुष्पांजलि मंत्र का उच्चारण करने से मन को शांति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
Pushpanjali Mantra Lyrics with Meaning
प्रथम:
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:॥
यह श्लोक ऋग्वेद से लिया गया है और इसका अर्थ है कि देवताओं ने यज्ञ किए हैं। यज्ञ के जरिये जब इन श्रेष्ठ लोगों ने स्वर्ग प्राप्त किया, तो उन्हें वहाँ पुराने देवता मिले, जो पहले भी इसी तरह से यज्ञ करके स्वर्ग गए थे। इस मंत्र का सार यह है कि केवल पूजा और व्रत जैसे पवित्र कर्मों के माध्यम से ही लोग इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ और दूसरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्राप्त कर सकते हैं।
द्वितीय:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
यह एक संस्कृत मंत्र है जो भगवान कुबेर को समर्पित है। कुबेर धन और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। इस मंत्र का अर्थ है:
“हम भगवान कुबेर को नमस्कार करते हैं, जो राजाओं के राजा हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले हैं। हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमें हमारी इच्छाओं को पूरा करें और हमें धन और समृद्धि प्रदान करें।”
यह मंत्र विशेष रूप से धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए जप किया जाता है। क्या आप इस बारे में और जानना चाहेंगे?
तृतीय:
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
यह संस्कृत मंत्र जो समृद्धि, शांति और सार्वभौमिक शासन की कामना करता है। इसका अर्थ है:
यह मंत्र राजाओं के राज्याभिषेक के दौरान गाया जाता है, ताकि उनकी सफलता की कामना की जा सके साथ ही उन्हें याद दिलाया जा सके कि उन्हें अपने सभी व्यवहार और प्रदर्शन में धर्म या धार्मिकता का पालन करना होगा ताकि वे पुण्यवान बने रहें।
इस भजन में संप्रभुता, स्वतंत्रता, श्रेष्ठता, सफलता, दुनिया के शासक और स्वास्थ्य और खुशी से भरा लंबा जीवन जैसी विभिन्न अद्भुत उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया गया है। यह मंत्र विशेष रूप से शांति, समृद्धि और सार्वभौमिक शासन की प्राप्ति के लिए जप किया जाता है।
चतुर्थ:
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
यह मंत्रपुष्पांजली का एक अंश है, जो देवताओं को समर्पित है। इसका अर्थ है:
मरुत कहे जाने वाले देवता इस आयोजन के समापन समारोह के साक्षी होते हैं, जहां आयोजन के लाभों का वितरण सभी संबंधित लोगों में किया जाता है।
यह श्लोक देवताओं की स्तुति और उनकी उपस्थिति की महिमा का वर्णन करता है। क्या आप इस बारे में और जानना चाहेंगे?
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