November 21, 2024

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Pretraj Aarti – प्रेतराज सरकार की आरती

प्रेतराज सरकार की आरती

जय प्रेतराज कृपालु मेरी 
अरज अब सुन लीजिये।
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मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, 
नाथ दर्शन दीजिये।। 
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मैं करूं विनती आपसे अब, 
तुम दयामय चित धरो।
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चरणों का ले लिया आसरा, 
प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो।। 
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सिर पर मोर मुकुट कर में धनुष, 
गलबीच मोतियन माल है।
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जो करे दर्शन प्रेम से सब, 
कटत तन के जाल हैं।। 
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जब पहन बख्तर ले खड़ग, 
बांई बगल में ढाल है।
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ऐसा भयंकर रूप जिनका, 
देख डरपत काल है।। 
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अति प्रबल सेना विकट योद्धा, 
संग में विकराल हैं।
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तब भुत प्रेत पिशाच बांधे, 
कैद करते हाल हैं।। 
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तब रूप धरते वीर का, 
करते तैयारी चलन की।
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संग में लड़ाके ज्वान जिनकी, 
थाह नहीं है बलन की।। 
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तुम सब तरह समर्थ हो, 
प्रभु सकल सुख के धाम हो।
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दुष्टों के मारनहार हो, 
भक्तों के पूरण काम हो।। 
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मैं हूं मती का मन्द मेरी, 
बुद्धि को निर्मल करो।
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अज्ञान का अन्धेर उर में, 
ज्ञान का दीपक धरो।। 
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सब मनोरथ सिद्ध करते, 
जो कोई सेवा करे।
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तन्दुल बूरा घृत मेवा, 
भेंट ले आगे धरे।। 
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सुयश सुन कर आपका, 
दुखिया तो आये दूर के।
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सब स्त्री अरू पुरूष आकर,
पड़े हैं चरण हजूर के।। 
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लीला है अद्भुत आपकी, 
महिमा तो अपरंपार है।
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मैं ध्यान जिस दम धरत हूँ , 
रच देना मंगलाचार है।। 
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सेवक गणेशपुरी महन्त जी, 
की लाज तुम्हारे हाथ है।
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करना खता सब माफ, 
उनकी देना हरदम साथ है।। 
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दरबार में आओ अभी, 
सरकार में हाजिर खड़ा।
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इन्साफ मेरा अब करो, 
चरणों में आकर गिर पड़ा।। 
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अर्जी बमूजिब दे चुका, 
अब गौर  इस पर कीजिये।
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तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, 
फैसला कर दीजिए।। 
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महाराज की यह स्तुति, 
कोई नेम से गाया करे।
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सब सिद्ध कारज होय उनके, 
रोग पीड़ा सब टरे।। 
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‘‘सुखराम’’ सेवक आपका, 
उसको नहीं बिसराइये।
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जै जै मनाऊं आपकी, 
बेड़े को पार लगाइये।। 
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प्रेतराज सरकार की आरती को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है। 

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