January 18, 2025

Latest Posts

श्री जीण माता जी की चालीसा Jeen Mata Chalisa

Shri Jeen Mata Chalisa

श्री जीण माता चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्तुति है जो हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह चालीसा देवी जीण माता की महिमा का वर्णन करती है और भक्तों को उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक माध्यम प्रदान करती है। जीण माता को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है, और उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

श्री जीण माता चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और आत्मिक बल मिलता है। प्रत्येक छंद देवी जीण माता की विभिन्न लीलाओं और गुणों का वर्णन करता है। भक्तगण इसे नियमित रूप से पढ़ते हैं और विशेष अवसरों पर इसका पाठ करते हैं, जैसे कि नवरात्रि और अन्य धार्मिक उत्सवों के दौरान।

जीण माता का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जो एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और जीण माता की कृपा प्राप्त करते हैं। श्री जीण माता चालीसा का पाठ करने से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार भी करता है।

|| दोहा ||

श्री गुरुपद सुमिरण करूँ,  गौरीनंदन ध्याय ।
वरणऊ माता जीण यश , चरणों शीश नवाय ।।

झांकी की अद्भुत छवि , शोभा कही न जाय ।
जो नित सुमरे माय को , कष्ट दूर हो जाय ।।

॥ चौपाई ॥

जय श्री जीणभक्त सुखकारी |नमो नमो भक्तन हितकारी ॥
दुर्गा की तुम हो अवतारा |सकल कष्ट तु मेट हमारा ॥

महाभयंकर तेज तुम्हारा |महिषासुर सा दुष्ट संहारा ॥
कंचन छत्र शिष पर सोहे|देखत रूप चराचर मोहे॥

तुम क्षत्रीधर तनधर लिन्हां |भक्तों के सब कारज किन्हां ॥
महाशक्ति तुम सुन्दर बाला |डरपत भूत प्रेत जम काला ॥

ब्रहमा विष्णु शंकर ध्यावे |ऋषि मुनि कोई पार न पावे ॥
तुम गौरी तुम शारदा काली|रमा लक्ष्मी तुम कपपाली॥

जगदम्बा भवरों की रानी |मैया मात तू महाभवानी ॥
सत पर तजे जीण तुम गेहा|त्यागा सब से क्षण में नेहा ॥

महातपस्या करनी ठानी|हरष खास था भाई ज्ञानी ॥
पिछे से आकर समझाई |घर वापिस चल माँ की जाई॥

बहुत कही पर एक ना मानी |तब हरसा यूँ उचरी बानी ॥
मैं भी बाई घर नहीं जाऊँ|तेरे साथ राम गुण गाऊँ॥

अलग अलग तप स्थल किन्हां |रैन दिवस तप मैं चितदीन्हा ॥
तुम तप कर दुर्गात्व पाया |हरषनाथ भैरू बन छाया ॥

वाहन सिंह खडक कर चमके |महातेज बिजली सा दमके ॥
चक्र गदा त्रिशूल विराजे |भागे दुष्ट जब दुर्गा जागे ॥

मुगल बादशाह चढकर आया |सेना बहुत सजाकर लाया॥
भैरव का मंदिर तुड़वाया ।फिर वो इस मंदिर पर धाया ॥

यह देख पुजारी घबराये ।करी स्तुति मात जगाये॥
तब माता तु भौरें छोडे ।सेना सहित भागे घोड़े ॥

बल का तेज देख घबराया ।जा चरणों में शीश नवाया ॥
क्षमा याचना किन्हीं भारी ।काट जीण मेरी सब बेमारी ॥

सोने का वो छत्र चढ़ाया ।तेल सवामन और बंधाया ॥
चमक रही कलयुग में माई ।तीन लोक में महिमा छाई॥

जो कोई तेरे मंदिर आवे ।सच्चे मन से भोग लगावे॥
रोली वस्त्र कपूर चढ़ावे ।मनवांछित पूर्ण फल पावे ॥

करे आरती भजन सुनावे ।सो नर शोभा जग में पावे ॥
शेखा वाटी धाम तुम्हारा ।सुन्दर शोभा नहीं सुम्हारा ॥

अश्विन मास नौराता माही ।कई यात्री आवे जाही ॥
देश – देश से आवे रेला ।चैत मास में लागे मेला ॥

आवे ऊँट कार बस लारी ।भीड़ लगे मेला में भारी ॥
साज – बाज से करते गाना ।कई मर्द और कई जनाना ॥

जात झडुला चढे अपारा ।सवामणी का पाऊ न पारा ॥
मदिरा में रहती मतवाली ।जय जगदम्बा जय महाकाली ॥

जो कोई तुम्हरे दर्शन पावे ।मौज करे जुग – जुग सुख पावे ॥
तुम्ही हमारी पितु और माता ।भक्ति शक्ति दो हे दाता ॥

जीण चालीसा जो कोई गावे ।सो सत पाठ करे करवावे। ॥
मैया नैया पार लगावे ।सेवक चरणों में चित् लावे ॥

|| दोहा ||

जय दुर्गा जय अंबिका जग जननी गिरी राय ।
दया करो हे चंडिका विनऊ शीश नवाय ॥

******

Shri Jeen Mata ki Chalisa को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Aarti

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.