बृहस्पति कवचम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवगुरु बृहस्पति की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। बृहस्पति, जिन्हें गुरु भी कहा जाता है, ज्ञान, धर्म, और सुख-समृद्धि के देवता माने जाते हैं। बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाने और उसके अशुभ प्रभावों से रक्षा पाने के लिए बृहस्पति कवचम् का पाठ किया जाता है।
Brihaspati Kavacham | बृहस्पति कवच
अस्य श्रीबृहस्पति कवचमहा मन्त्रस्य, ईश्वर ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, बृहस्पतिर्देवता,
गं बीजं, श्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकम्,
बृहस्पति प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
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ध्यानम्
अभीष्टफलदं वन्दे सर्वज्ञं सुरपूजितम् ।
अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
अथ बृहस्पति कवचम्
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मेभीष्टदायकः ॥ 1 ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यः नासं मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञः कण्ठं मे देवतागुरुः ॥ 2 ॥
भुजा वङ्गीरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥ 3 ॥
नाभिं देवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगद्वन्द्यः ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥ 4 ॥
जानुजङ्घे सुराचार्यः पादौ विश्वात्मकः सदा ।
अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥ 5 ॥
फलशृतिः
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान् कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
॥ इति श्री बृहस्पति कवचम् ॥
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति कवचम का नियमित जाप भगवान बृहस्पति को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका है।
अच्छे परिणाम के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद भगवान बृहस्पति के सामने बृहस्पति कवचम का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको पहले बृहस्पति कवचम का अर्थ हिंदी में समझना चाहिए।
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