भगवान नरसिंह, विष्णु जी के उग्र अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकशिपु का वध किया। उनकी आरती, “जय जय नरसिंह देवा,” भक्तों के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली और मंगलकारी मानी जाती है। यह आरती भय, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।
भगवान नरसिंह की आरती का नियमित रूप से गायन करने से जीवन में साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है। नरसिंह भगवान को संकटहरण और संकटमोचन कहा जाता है, इसलिए उनकी आरती करने से सभी तरह की कठिनाइयों और संकटों से छुटकारा मिलता है।
नृसिंह आरती
(1)
नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-शिला-टङ्क-नखालये।।
(2)
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो नृसिंहमादि शरणं प्रपद्ये॥
(3)
तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत-श्रृंङ्गम्
दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृंङ्गम्
केशव धृत-नरहरिरूप जय जगदीश हरे॥
जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे॥
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भगवान नरसिंह आरती के लाभ
यह आरती आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है और व्यक्ति को शत्रुओं से बचाने का एक प्रभावी साधन है। भगवान नरसिंह की कृपा से मानसिक तनाव, डर और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है। यह आरती न केवल मानसिक और भावनात्मक शांति प्रदान करती है।
भक्त के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है। यह आरती भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत लाभकारी है और व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता लाती है। इस प्रकार, भगवान नरसिंह की आरती व्यक्ति के जीवन को भयमुक्त, संतुलित और समृद्ध बनाती है, साथ ही मोक्ष के मार्ग की ओर प्रेरित करती है।
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