विश्वकर्मा आरती हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण भजन है। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पी और वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। उन्हें सृजन, निर्माण, और रचनात्मकता के देवता माना जाता है। वे सभी प्रकार की कला, निर्माण, और तकनीकी कौशल के संरक्षक हैं।
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु भगवान
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा|
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा||
आदि सृष्टि मे विधि को श्रुति उपदेश दिया|
जीव मात्रा का जाग मे, ज्ञान विकास किया||
ऋषि अंगीरा ताप से, शांति नहीं पाई|
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रया लीना|
संकट मोचन बनकर डोर दुःखा कीना||
जय श्री विश्वकर्मा.
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टर करी|
सुनकर दीं प्रार्थना, विपत हरी सागरी||
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे|
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे||
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे|
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे||
श्री विश्वकर्मा की आरती जो कोई गावे|
भाजात गजानांद स्वामी, सुख संपाति पावे||
जय श्री विश्वकर्मा.
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