🌺 कामाख्या चालीसा का महत्व
Maa Kamakhya Chalisa माँ कामाख्या देवी की स्तुति में रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। यह चालीसा साधक के मन, वचन और कर्म को शुद्ध करती है और उसे माँ की कृपा के योग्य बनाती है।
माँ कामाख्या देवी को तंत्र की अधिष्ठात्री, काम और शक्ति की देवी कहा जाता है। ये गुप्त कामाख्या पीठ, असम (गुवाहाटी) में स्थित हैं और शक्तिपीठों में से एक हैं। इस चालीसा का पाठ विशेष रूप से तांत्रिक बाधा, संतान सुख, दांपत्य जीवन में मधुरता, और आकर्षण शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।
कामाख्या माता की चालीसा
दोहा
जै जै कासुमिरन कामाख्या करुँ, सकल सिद्धि की खानि ।
होइ प्रसन्न सत करहु माँ, जो मैं कहौं बखानि ॥
चालीसा
माख्या महारानी । दात्री सब सुख सिद्धि भवानी ॥
कामरुप है वास तुम्हारो । जहँ ते मन नहिं टरत है टारो ॥
ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा । पुरवहु सदा भगत मन आसा ।
ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई । जो जन ध्यान धरै मनलाई ॥
जो देवी का दर्शन चाहे । हदय बीच याही अवगाहे ॥
प्रेम सहित पंडित बुलवावे । शुभ मुहूर्त निश्चित विचारवे ॥
अपने गुरु से आज्ञा लेकर । यात्रा विधान करे निश्चय धर ।
पूजन गौरि गणेश करावे । नान्दीमुख भी श्राद्ध जिमावे ॥
शुक्र को बाँयें व पाछे कर । गुरु अरु शुक्र उचित रहने पर ॥
जब सब ग्रह होवें अनुकूला । गुरु पितु मातु आदि सब हूला ॥
नौ ब्राह्मण बुलवाय जिमावे । आशीर्वाद जब उनसे पावे ॥
सबहिं प्रकार शकुन शुभ होई । यात्रा तबहिं करे सुख होई ॥
जो चह सिद्धि करन कछु भाई । मंत्र लेइ देवी कहँ जाई ॥
आदर पूर्वक गुरु बुलावे । मन्त्र लेन हित दिन ठहरावे ॥
शुभ मुहूर्त में दीक्षा लेवे । प्रसन्न होई दक्षिणा देवै ॥
ॐ का नमः करे उच्चारण । मातृका न्यास करे सिर धारण ॥
षडङ्ग न्यास करे सो भाई । माँ कामाक्षा धर उर लाई ॥
देवी मन्त्र करे मन सुमिरन । सन्मुख मुद्रा करे प्रदर्शन ॥
जिससे होई प्रसन्न भवानी । मन चाहत वर देवे आनी ॥
जबहिं भगत दीक्षित होइ जाई । दान देय ऋत्विज कहँ जाई ॥
विप्रबंधु भोजन करवावे । विप्र नारि कन्या जिमवावे ॥
दीन अनाथ दरिद्र बुलावे । धन की कृपणता नहीं दिखावे ॥
एहि विधि समझ कृतारथ होवे । गुरु मन्त्र नित जप कर सोवे ॥
देवी चरण का बने पुजारी । एहि ते धरम न है कोई भारी ॥
सकल ऋद्धि – सिद्धि मिल जावे । जो देवी का ध्यान लगावे ॥
तू ही दुर्गा तू ही काली । माँग में सोहे मातु के लाली ॥
वाक् सरस्वती विद्या गौरी । मातु के सोहैं सिर पर मौरी ॥
क्षुधा, दुरत्यया, निद्रा तृष्णा । तन का रंग है मातु का कृष्णा ।
कामधेनु सुभगा और सुन्दरी । मातु अँगुलिया में है मुंदरी ॥
कालरात्रि वेदगर्भा धीश्वरि । कंठमाल माता ने ले धरि ॥
तृषा सती एक वीरा अक्षरा । देह तजी जानु रही नश्वरा ॥
स्वरा महा श्री चण्डी । मातु न जाना जो रहे पाखण्डी ॥
महामारी भारती आर्या । शिवजी की ओ रहीं भार्या ॥
पद्मा, कमला, लक्ष्मी, शिवा । तेज मातु तन जैसे दिवा ॥
उमा, जयी, ब्राह्मी भाषा । पुर हिं भगतन की अभिलाषा ॥
रजस्वला जब रुप दिखावे । देवता सकल पर्वतहिं जावें ॥
रुप गौरि धरि करहिं निवासा । जब लग होइ न तेज प्रकाशा ॥
एहि ते सिद्ध पीठ कहलाई । जउन चहै जन सो होई जाई ॥
जो जन यह चालीसा गावे । सब सुख भोग देवि पद पावे ॥
होहिं प्रसन्न महेश भवानी । कृपा करहु निज – जन असवानी ॥
✅ कामाख्या चालीसा के लाभ (Benefits of Kamakhya Chalisa):
1. 🧿 तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा नज़र दोष, टोटका, या तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव
2. 💘 दांपत्य और प्रेम संबंधों में समरसता मिठास, समझ और आकर्षण को बनाए रखने में सहायक होती है।
3. 🌱 संतान सुख की प्राप्ति की कामना करती हैं, उनके लिए यह चालीसा अत्यंत शुभ है।
4. 🌟 यह चालीसा साधक के मनोकामना पूर्ति और आकर्षण शक्ति बनाती है
5. 🧘 आध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता स्थिरता आती है
📿 कामाख्या चालीसा पाठ विधि:
- नित्य स्नान के बाद स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
- माँ कामाख्या के मूर्ति, चित्र या यंत्र के समक्ष दीप जलाएं।
- गुलाब, लाल फूल और गुड़ से पूजा करें।
- कामाख्या चालीसा का पाठ श्रद्धापूर्वक करें (कम से कम 1 बार या 7 बार)।
- शुक्रवार, अमावस्या या नवरात्रि में कामाख्या चालीसा पाठ विशेष फलदायी होता है।
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