mahalakshmi aarti

Mahalaxmi Aarti | श्री महालक्ष्मीची आरती शांति और समृद्धि का प्रतीक

हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। उनकी पूजा-अर्चना में ‘आरती’ का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के अंत में आरती करने से पूजा पूर्ण होती है और भक्त को मानसिक शांति मिलती है। सबसे प्रसिद्ध आरती, “ओम जय लक्ष्मी माता”, भारत के लगभग हर घर में गूंजती है।

महालक्ष्मी जी की आरती विशेष रूप से शुक्रवार और दीपावली के पावन अवसर पर की जाती है। आरती के दौरान घी का दीपक जलाना और घंटी बजाना शुभ माना जाता है, जिससे घर की नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) दूर होती है।

श्री महालक्ष्मी आरती: सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।
वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥
करवीरपुरवासिनी सुरवरमुनिमाता।
 
पुरहरवरदायिनी मुरहरप्रियकान्ता।
कमलाकारें जठरी जन्मविला धाता।
सहस्त्रवदनी भूधर न पुरे गुण गातां॥
जय देवी जय देवी…॥
 
मातुलिंग गदा खेटक रविकिरणीं।
झळके हाटकवाटी पीयुषरसपाणी।
 
माणिकरसना सुरंगवसना मृगनयनी।
शशिकरवदना राजस मदनाची जननी॥
जय देवी जय देवी…॥
 
तारा शक्ति अगम्या शिवभजकां गौरी।
सांख्य म्हणती प्रकृती निर्गुण निर्धारी।
गायत्री निजबीजा निगमागम सारी।
प्रगटे पद्मावती निजधर्माचारी॥
जय देवी जय देवी…॥
 
अमृतभरिते सरिते अघदुरितें वारीं।
मारी दुर्घट असुरां भवदुस्तर तारीं।
वारी मायापटल प्रणमत परिवारी।
हें रुप चिद्रूप दावी निर्धारी॥
जय देवी जय देवी…॥
 
चतुराननें कुश्चित कर्मांच्या ओळी।
लिहिल्या असतिल माते माझे निजभाळी।
पुसोनि चरणातळी पदसुमने क्षाळी।
मुक्तेश्वर नागर क्षीरसागरबाळी॥
जय देवी जय देवी…॥
 
मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ नित्य महालक्ष्मी जी की आरती करते हैं, उनके जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है। यह न केवल आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक है, बल्कि परिवार में प्रेम और सुख-समृद्धि का वातावरण भी बनाए रखती है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुद्ध मन से आरती का गायन सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।

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