July 25, 2024

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माँ विन्ध्येश्वरी आरती || Mata Vindhyashwari Aarti

श्री विंध्येश्वरी माता की आरती

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

सुवा चोली तेरी अंग विराजे।
केसर तिलक लगाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

नंगे पग मां अकबर आया।
सोने का छत्र चडाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया।
निचे   शहर   बसाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये।
कालियुग राज सवाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

धूप दीप नैवैध्य आर्ती।
मोहन भोग लगाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया।
मनवंचित  फल  पाया॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी।
कोई तेरा पार ना पाया माँ॥

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Mata Vindhyashwari Aarti को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है।

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