Ujjain ki kahani

उज्जैन की कहानी – जाने महाकाल की नगरी क्यों प्रसिद्ध है

उज्जैन की कहानी 

उज्जैन, मध्य प्रदेश के राज्य में स्थित एक प्राचीन और आध्यात्मिक नगरी है, जिसे भक्त ‘महाकाल की नगरी’ भी कहते है। यह महाकाल नगरी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक, खगोलीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी भरी हुई है बहुत ही कम लोगों को यह के इतिहास के बारे मे जानकारी हैं। उज्जैन का उल्लेख वेदों, पुराणों और अनेक ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है। यह शहर 5000 साल पुराना है। इस शहर का इतिहास जो भी व्यक्ति जान लेता हैं उसका मन प्रफुल्लित हो जाता हैं।

यह स्थान मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है और यह स्थान हिन्दू धर्म का एक पवित्र स्थान है। प्राचीन काल में उज्जैन को उज्जयिनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता था। उज्जैन का पुराना नाम अवंतिका और अवंतिका की राजधानी अवंति थी जो कि भारत की महाजनपदों में से एक थी। यह शहर देवताओं का शहर माना जाता है यहां पर 84 महादेव, 64 योगिनियां, 8 भैरव और 6 विनायक है इनका वर्डन सुंदरकांड के पाठ में किया गया है। 

Ujjain Mahakal Mandir ki Bhasm Aarti 

उज्जैन की भस्म आरती महाकालेश्वर मंदिर की एक अत्यंत प्रसिद्ध पवित्र, अद्भुत और विशिष्ट धार्मिक परंपरा है। यह आरती भगवान शिव के महाकाल रूप में की जाती है और इसका विशेष आकर्षण है – भस्म (चिता की राख) से की जाने वाली पूजा। भस्म आरती उज्जैन की सबसे पवित्र आरती मानी जाती है इस आरती के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ इक्कठा हो जाती हैं।

यह आरती महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर चिता की भस्म से की जाती है। इसे भारत की एकमात्र ऐसी आरती माना जाता है जिसमें चिता की राख का प्रयोग किया जाता है। यह परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है और उज्जैन के महाकाल मंदिर की पहचान बन चुकी है। भस्म आरती प्रातः काल में ब्रह्म मुहूर्त के समय होती हैं और यह आरती वैराग्य, आत्मज्ञान, और मोक्ष की ओर प्रेरित करती है।

उज्जैन क्यों प्रसिद्ध हैं

उज्जैन का सबसे बड़ा धार्मिक आकर्षण महाकालेश्वर मंदिर है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उज्जैन को प्राचीन काल में समय और खगोलशास्त्र का शून्य मेरिडियन माना गया। प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराहमिहिर और भास्कराचार्य ने यहाँ कार्य किया। यहाँ का जंतर मंतर (वेधशाला) इसका प्रमाण है। यह नगर कई महान संतों, योगियों और साधुओं की तपोभूमि रहा है।

उज्जैन को सम्राट विक्रमादित्य की नगरी माना जाता है। उनके दरबार में नवरत्न, जैसे कालिदास, धन्वंतरि, वराहमिहिर आदि विद्वान थे। विक्रम संवत् की शुरुआत भी यहीं से मानी जाती है। उज्जैन काशी, मथुरा, हरिद्वार, अयोध्या, कांची और द्वारका के साथ सप्तपुरियों में शामिल है, जहाँ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। उज्जैन केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा का प्रतीक है।

उज्जैन कुंभ मेला 

उज्जैन कुंभ मेला, जिसे सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है, भारत के चार प्रमुख कुंभ मेलों में से एक है। यह मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित शिप्रा नदी के तट पर आयोजित होता है। कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह मेला हर 12 वर्षों में एक बार चार स्थानों पर होता है प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक। 

पिछला उज्जैन सिंहस्थ कुंभ मेला 2016 में हुआ था। इसलिए अगला सिंहस्थ कुंभ 2028 में आयोजित होगा (कुछ पंचांगों के अनुसार यह समय थोड़ा ऊपर-नीचे हो सकता है)। नागा साधुओं की शोभायात्रा (शाही स्नान), साधु-संतों की प्रवचन सभाएँ, आध्यात्मिक चर्चा, भजन-कीर्तन, आदि इस कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण हैं।

महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य 

महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। दक्षिण दिशा को मृत्यु और यमराज की दिशा माना गया है, और इस दिशा में मुख होना दर्शाता है कि शिव स्वयं मृत्यु को नियंत्रित करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः 4 बजे “भस्म आरती” होती है, जो दुनिया में अनोखी है। इस आरती में चिता की भस्म से भगवान महाकाल को श्रृंगार किया जाता है। परंतु आजकल यह भस्म औपचारिक रूप से तैयार की जाती है।

महाकालेश्वर लिंग को “स्वयंभू” माना जाता है, यानी यह किसी ने बनाया नहीं, बल्कि स्वयं धरती से प्रकट हुआ। यह ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, जो शिव की शक्ति से स्वतः जाग्रत है। मान्यता है कि महाकालेश्वर के दर्शन मात्र से काल (मृत्यु) भय नहीं रहता। राजा चंद्रसेन की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने महाकाल रूप में राक्षस दूषण का संहार किया था और वहीं प्रकट होकर उज्जैन में स्थापित हो गए। 

कहा जाता है कि मंदिर परिसर में एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा है, जो साधना और ध्यान के लिए अत्यंत उपयुक्त है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यहां कालचक्र नियंत्रित होता है, यानी समय और मृत्यु की गति यहाँ बदल सकती है — इसलिए यहाँ साधना बहुत प्रभावशाली मानी जाती है। यह स्थान अघोरियों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यहाँ रात्रि में विशेष साधनाएँ होती थीं जिनका उद्देश्य मृत्यु पर विजय प्राप्त करना होता था। 

उज्जैन शक्ति पीठ 

उज्जैन शक्तिपीठ, जिसे महाकाल वन शक्तिपीठ या हरसिद्धि शक्तिपीठ भी कहा जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह शक्ति पीठ देवी सती के कोहनी के गिरने के कारण स्थापित हुआ माना जाता है। यह 51 शक्ति पीठों में से एक है, जो देवी सती के अंगों के गिरने की कथा से जुड़ा हुआ है।

उज्जैन स्वयं एक प्राचीन नगरी है, जिसे ‘मुक्ति का द्वार’ कहा जाता है और यह सप्तपुरियों में से एक है। हरसिद्धि माता मंदिर की विशेषता यहाँ की दीप स्तंभ हैं, जो दीपावली पर विशेष रूप से सजाए जाते हैं। नवरात्रि के समय यहाँ विशेष पूजा, आरती और अनुष्ठान होते हैं। यदि आप उज्जैन की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो महाकालेश्वर मंदिर और हरसिद्धि माता मंदिर दोनों के दर्शन अवश्य करें।

Ujjain Ki Kahani को हमने ध्यान पूर्वक लिखा है, फिर भी इसमे किसी प्रकार की त्रुटि दिखे तो आप हमे Comment करके या फिर Swarn1508@gmail.com पर Email कर सकते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top